मुझे गर्व है की मेने आदिवासी समाज में जन्म लिया और में अपनी समाज के किए जो भी कुछ करूँ मेरे लिए वो बहुत कम है । क्यों की आदिवासी शेरो की सन्ताने हे हम और शेरो की तरह ही जीना पसन्द करेंगे ।
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Saturday, January 22, 2011
GOND IS NOT HINDUS, GONDI LENGUAGE IS MOTHER LENGUAGE
गोंडवाना एक गौरव धरती का एक भाग जिसे गोंडवाना लैंड कहते है मध्यभारत के गोंड जाती के लोगो के नाम पर पड़ा ये मूलनिवासी लोगो की अपनी गौरवमयी साम्राज्य भासा धर्म संस्कृति थी ये लोग पूरी तरह प्रकृति वादी है इनका धर्म कोयापुनेम है जिसका मतलब देव व्यवस्था को मानने वाले होता है इनका साम्राज्य बावन गण छत्तीस परगना
तक विस्तृत था इनके किले महल आज भी इनके गौरवमयी जीवन शैली का गवाह देते है इनकी गण व्यवस्था से आज भी गणतंत्र व्यवस्था के नाम से जाना जाता है इनकी सामाजिक व्यवस्था हिन्दू मुस्लमान और ईसाईयों से बिलकुल भिन्न है फिर भी कुछ लोगो के इशारों पर इनको भारत की जन गणना में हिन्दू दर्शा दिया जाता है मिशनरी तथा हिन्दू वादी द्वारा इनका धर्मांतरण करने की कोशिश की जाती रही है पर इनका अस्तित्व आज भी कायम है शासन प्रसाशन द्वाराभी इनको वन अभयारण्यो के नाम से तो कही औद्योगिकीकरण के नाम से विस्थापित किया जाता रहा है ताकि इनकी सामाजिक व्यवस्था धर्म संस्कृति को नस्ट किया जा सके कोया कमांडो बना कर को आदिवासियों को आदिवासी द्वारा ही मरवाया जा रहा है इनको जल जंगल जमीन से सद्यन्त्र पूर्वक बेदखल किया जा रहा है भारत सरकार इनकी धर्म भाषा को सविधान की अनुसूची में सामिल नहीं किया है फिर भी इनकी धर्म भासा को मानने ओर बोलने वाले लोग करोडो में है
गोंडवाना एक गौरव
ReplyDeleteधरती का एक भाग जिसे गोंडवाना लैंड कहते है मध्यभारत के गोंड जाती के लोगो के नाम पर पड़ा ये मूलनिवासी लोगो की अपनी गौरवमयी साम्राज्य भासा धर्म
संस्कृति थी ये लोग पूरी तरह प्रकृति वादी है इनका धर्म कोयापुनेम है जिसका मतलब देव व्यवस्था को मानने वाले होता है इनका साम्राज्य बावन गण छत्तीस परगना
तक विस्तृत था इनके किले महल आज भी इनके गौरवमयी जीवन शैली का गवाह देते है इनकी गण व्यवस्था से आज भी गणतंत्र व्यवस्था के नाम से जाना जाता है
इनकी सामाजिक व्यवस्था हिन्दू मुस्लमान और ईसाईयों से बिलकुल भिन्न है फिर भी कुछ लोगो के इशारों पर इनको भारत की जन गणना में हिन्दू दर्शा दिया जाता है
मिशनरी तथा हिन्दू वादी द्वारा इनका धर्मांतरण करने की कोशिश की जाती रही है पर इनका अस्तित्व आज भी कायम है शासन प्रसाशन द्वाराभी इनको वन अभयारण्यो के नाम से तो कही औद्योगिकीकरण के नाम से विस्थापित किया जाता रहा है ताकि इनकी सामाजिक व्यवस्था धर्म संस्कृति को नस्ट किया जा सके
कोया कमांडो बना कर को आदिवासियों को आदिवासी द्वारा ही मरवाया जा रहा है इनको जल जंगल जमीन से सद्यन्त्र पूर्वक बेदखल किया जा रहा है भारत सरकार
इनकी धर्म भाषा को सविधान की अनुसूची में सामिल नहीं किया है फिर भी इनकी धर्म भासा को मानने ओर बोलने वाले लोग करोडो में है