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Thursday, October 8, 2015

महाकुंभ एक राजनैतिक कुभ

(यह पोस्ट मण्डला महाकुंभ के समय प्रेषित किया गया था, लेकिन पोस्ट यूनिकोड फोन्ट में कन्वर्ट नहीं हुआ था इसलिये इस पोस्ट को लोग पढ़ नहीं पाये क्षमा चाहता हॅू, पुनः यूनीकोड में पोस्ट प्रेषित है)मण्डला

महाकुंभ एक राजनैतिक कुभ है



आदिवासी उपयोजना की राशि से कुंभ में हो रहा निर्माण कार्य
      डिण्डौरी, गोंडवाना महासभा की आवश्यक बैठक आज डिण्डौरी में आयोजित की गई जिसमें जबलपुर संभाग तथा शहडोल संभाग के पदाधिकारीगण उपस्थित हुये बैठक में गोंडवाना महासभा के संस्थापक सदस्य श्री अमान सिंह पोर्ते तथा संभागीय सचिव श्री हरी सिंह मरावी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और आर.एस.एस द्वारा मण्डला महिष्मति नगरी में किये जा रहै सामाजिक कुंभ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी आदिवासी उपयोजना की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है, और आदिवासी आम जनता को इसकी भनक भी नहीं है। मध्यप्रदेश के मूलनिवासीयों को आगाह करते हुये कहा कि यह बहुत बड़ा षणयंत्र है। आदिवासीयों के विकास की राशि से हिन्दुत्व को बढ़ावा देने के लिये आदिवासी जनता को हिन्दुत्व की और आकर्षित करने के लिये कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आदिवासी उपयोजना की राशि से ही यह कार्य किया जा रहा है और इस कार्य में भाजपा,वनवासी कल्याण सेवा संघ आदि में जो आदिवासी नेता जनप्रतिनिधिगण पदाधिकारी हैं वे ही लोग इस कार्य में लगे हैं,ऐसे आदिवासीयों को गोंडवाना महासभा ने समाज के दलाल का नाम दिया है, डिण्डौरी और मण्डला में जो आदिवासी कुंभ के प्रचार प्रसार तथ धन इक्टठा करने के कार्य में लगे हुये है, उन्हें जरा सा भी हिन्दुत्व से लगाव है तो मैं उनसे कहना चाहता हॅू कि वे आने वाले समय में आदिवासी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग न करें। क्योंकि यह आरक्षण आदिवासियों के लिये है,वे आदिवासी जिनकी परम्परा रीतिरिवाज धर्म ही अलग है,और इनकी परम्परा हिन्दुओं से पृथक है, इस बात को भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहता है। गोंडवाना महासभा ने आरोप लगाया है कि हम हिन्दुओं के किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का विरोध नहीं करते लेकिन मण्डला जिला पांचवी अनुसूचित के तहत अधिसूचित क्षेत्र है, तो स्वाभाविक है कि यंह आदिवासी बाहुल्य है और इनकी अपनी संस्कृति,साहित्य,धार्मिक तथा रीतिरिवाज परम्परायें है, और इसी आधार पर इन्हें आदिवासी कहते हैं तथा इसी आधार पर ही इनका आरक्षण दिया गया हैं। इनके धर्म में कहीं भी कुंभ का उल्लेख नहीं है। और न हो सकता है।
कुंभ आयोजन समीति के मीडिया प्रभारी संजय दुबे की विज्ञप्ति का खंडन
       श्री मरावी ने आरोप लगाया कि संजय दुबे ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि जो लोग माॅ नर्मदा सामाजिक कुंभ का विरोध कर रहै हैं, वे धर्मान्तरण के कार्यो में लिप्त हैं, उनका खण्डन करते हुये कहा कि गोंडवाना के लोग हिन्दू नहीं है इस बात से शायद संजय दुबे जी अवगत नहीं है, उन्हें मालुम होना चाहिये कि हिन्दु कोड बिल के तहत जो चार अधिनियम ‘‘ दि हिन्दु मैरेज एण्ड डिव्होर्स एक्ट 1955, दि हिन्दु सक्षेसन एक्ट 1956, दि हिन्दु एडाप्षन मेंटेनेन्स एक्ट 1956 और दि हिन्दु माइनारिटी एण्ड गार्जियनषिप एक्ट 1956’’, लोकसभा में पारित किये गये है, उनकी धारा 2(2) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों के किसी भी सदस्य को हिन्दु कानून लागू नहीं होता। इसके बावजूद भी जनजातियों को ऐन केन प्रकारेण हिन्दुकरण का जामा पहनाने की चेष्ठा की जाती है। यही वजह है कि भारत सरकार द्वारा प्रति दस वर्ष में जो जनगणना की जाती है उसमें जनजाति गणों के धर्म को निर्देषित करने के लिये पृथक कोड की व्यवस्था जानबूझ कर नहीं की जाती है, ताकि हिन्दुओं की संख्या में वृद्धि होती रहै।
       र्गोंड जनजाति हिन्दु नहीं है वह प्राकृतिक धर्म को मानने वाली है प्रकृति के अनुसार ही वे धार्मिक सांस्कृतिक जीवन परंपरा का निर्वाहन करते है।
     इस संदर्भ में माननीय न्यायमूर्ति एस.पी.सेन द्वारा दिया गया फैसला ( क्र. एस.ए./100/66/15-1-1971, एम.पी.एल.जे. नोट 21 त्रिलोक सिंह विरूद्ध गुलाबसिया) द्वारा स्पष्ट किया गया है कि गोंड समुदाय के लोग हिन्दु नहीं है ( ळवदके ंतम दवज भ्पदकन ) उनकी अपनी प्रथा, परंपरा एंव रीतिरिवाज  है जिससे वे संचालित होते है। गोंडवाना के लोग प्रकृति के उपासक है और इनकी रीति नीति हिन्दू से पृथक है, इनकी शादी विवाह परम्पराओं तथा अन्य धार्मिक कार्यो में ब्राहमण वर्जित है। तथा समाज में भिक्षावृत्ति नहीं है कितना ही गरीब व्यक्ति क्यों न हो वह कभी भिक्षा नहीं मांगता मेहनत कर लेगा लेकिन भीख नहीं मांग सकता, वंही हिन्दू धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य में ब्राहम्ण ही पूजन करता है, और जो लोग मेहनत कस नहीं होते वे भीख मांगना शुरू कर देते है। उन्होने कहा कि इस देश में हिन्दू मुस्लिम,सिक्ख, ईसाई,बौद्ध,जैन तथा अन्य धर्मो के लोग निवास करते है और मुख्य बात यह है, कि मुस्लिम व्यक्ति मुस्लिम से, सिक्ख व्यक्ति सिक्ख से, जैन व्यक्ति जैन से, बौद्ध व्यक्ति बौद्ध से आपस में शादी संबध करता है रिश्ते नाते निभाते है एक साथ धार्मिक स्थान में बैठ कर पूजन अर्चन करते है, लेकिन क्या हिन्दू हिन्दू से आपस में संबध रखता है नंही ।जब आदिवासियों के साथ आज भी अन्याय अत्याचार शोषण ऊंच नीच भेदभाव रखा जा रहा है, इसका उदाहरण यह है कि अभी वर्तमान में विगत  जनवरी के प्रथम सप्ताह 2011 में सर्वोच्च न्यायालय का वह फैंसला है,जिसे महाराष्ट्र के तालुका पुलिस स्टेशन के  नंदाबाई भील के पक्ष में सुनाया गया है,फैसले में स्पष्ट कहा गया है कि  ‘‘यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि आज आदिवासी, जो कि संभवतः भारत के मूलनिवासियों के वंशज है,अब देश की कुल आबादी का 8 प्रतिशत ही बचे है,वे एक तरफ गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी, बीमारियों ओर भूमिहीनता से ग्रसित है, वंही दूसरी तरफ भारत की बहुसंख्यक जनसंख्या, जो कि विभिन्न अप्रवासी जातियों का वंशज है, उनके साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार करती है’’  इसी क्रम में इतिहास में आदिवासीयों के साथ हुये अन्याय का जिक्र करते हुये लिखा गया है कि इसका सर्वाधिक ख्यात उदाहरण महाभारत के आदिपर्व में उल्लेखित एकलव्य प्रसंग है. एकलव्य धनुविद्या सीखना चाहता था, लेकिन द्रोणाचार्य ने उसे सिखाने से मना कर दिया क्योंकि वह नीची जाति में पैदा हुआ था. तब एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाई और धर्नुविद्याा का अभ्यास शुरू किया. वह शायद द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धर बन गया, इसलिये द्रोणाचार्य ने गुरू दक्षिणा में उसका दाॅये हाथ का अंगूठा मांग लिया. एकलव्य ने अपने सरल स्वभाव के कारण वह दे दिया.’’ फैसले में आगे बिंदु क्रमांक 38 के तहत लिखा है ‘‘ यह द्रोणाचार्य की और से एक शर्मनाक कार्य था. जबकि उसने एकलव्य को सिखाया भी नहीं. फिर उसने किस आधार पर एकलव्य से गुरू दक्षिणा मांग ली और वह भी दांॅये हाथ का अंगूठा जिससे कि वह उसके शिष्य अर्जुन से श्रेष्ठ धर्नुधर न बन सके.?    
संजय दुबे ने अपनी विज्ञप्ति मेें गोंडवाना महासभा के विरोध को ईसाई मिशनरियों का विरोध कहा है, मरावी जी ने आरोप का खण्डन करते हुये कहा कि आदिवासी संगठन आजादी के बाद से ही ईसाई समाज को मिल रहै आदिवासी आरक्षण का विरोध कर रहीं है, तथा उन्होने कहा कि भाजपा.तथा कांग्रेस की सरकार आजादी के बाद से ही सत्ता में रही है,और प्रदेश में आज भी भाजपा ही है, इस संबध में अभी तक आपकी सरकार ने क्या कार्यवाही किया वे बतायें क्योकि आज भी आदिवासियों के हक अधिकार मे ंसबसे पहले ईसाई को लाभ मिल रहा है,ये शिक्षा में आगे रहते है, और यंहा के मूलनिवासी आदिवासी ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाते, जिसके कारण आज भी ये पिछड़े हैं। और ईसाई मिशनरियों से धर्मांतरण को लेकर संजय दुबे जी का विरोध है,तो गोंडवाना महासभा उनसे आग्रह करती है कि आपकी सरकार सत्ता में है आप ईसाई समाज को मिल रहै आदिवासी आरक्षण को समाप्त करें साथ ही ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासीयों का भी आरक्षण तत्काल समाप्त करने की कार्यवाही करे ंजिससे आदिवासी समाज को लाभ मिल सके कुंभ से आदिवासीयों को कोई लाभ नहीं मिलना। बल्कि आदिवासीयों के विकास की राशि इस कार्य में लगाई जा रही है जिससे आदिवासीयों का विकास और रूकेगा।
भाजपा पदाधिकारियों के बच्चे कंहा अध्ययन कर रहै है।
भाजपा के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं के द्वारा जो ईसाई मिशनरियों का विरोध किया जाता है वह मात्र दिखावा है या यूॅं कंहो तो गलत नहीं होगा कि ये लोग आम जनता को बरगलाने या भड़काने का कार्य करते हैं, जिससे लोगों को यह लगे कि हिन्दुओं को ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मतांरण किया जाता है, जबकि धर्मतांरण करने का काम भाजपा कर रहीं है, जब गोंड जाति को सर्वोच्च न्यायालय ने हिन्दू नहीं माना जिन्हें ये हिन्दू बनाने का प्रयास कर रहीं है, जबकि गोंड समाज अपनी धर्म व संस्कृति के साथ अपना बजूद बनाये व बचाये रखकर आज भी जीवन यापन कर रही है।
       जबकि भाजपा के पदाधिकारी जो लगातार ईसाई मिशनरी विरोधी अभियान चलाते हैं, जबकि इनके बच्चों की स्कूली शिक्षा व अन्य शिक्षा ईसाई मिशनरियों के ही स्कूलों में ग्रहण करते रहै व कर रहै हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि इनके मुख पर मुखौटा लगा है जो आम जनता को भांवनाआंे मेें वशीभूत कर अपना उल्लू सीधा कर रहै है।

सरकार लगी कुंभ में कृषकों को पकड़ाया झुनझुना

गोंडवाना महासभा के संस्थापक सदस्य श्री अमान सिंह पोर्ते ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार कृषकों के हितैषि होने का ढि़ढ़ोरा पीटते नहीं थक रहीं है, किन्तु सरकार कृषकों के लिये क्या कर रहीं है, यह किसी से छिपा नहीं है। मध्यप्रदेश में कृषक लगातार आत्महत्याऐं कर रहै हैं, प्राकृतिक आपदा के चलते कृषकों की तैयार खड़ी फसल चैपट हो चुकी है, जिनके मुआवजे के लिये सरकार सिर्फ घोषणायें कर रहीं है, व मीडिया के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रही है, कि सरकार ने इतने रूपये जारी कर दिये हैं, व शेष राशि के लिये केन्द्र सरकार से मांग कर रहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने केन्द्र सरकार से सहायता राशि नहीं दिये जाने से छुब्ध होकर अनशन में बैठने तक की बात कह रहै है जिससे कृषको को यह लगे कि सरकार उनके हित में कार्य कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि सरकार भाजपा के पदाधिकारियों एंव स्वयं सेवक स्ंाघ को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दिलाने के लिये मण्डला में माॅ नर्मदा सामाजिक कुंभ का आयोजन करवाने जा रहीं है, जिसमें सरकार लगभग 200 करोड़ रूपये से अधिक सरकारी खजाने से खर्च कर रही है। यदि हिन्दू धर्म व शास्त्रों की बात की जाये तो आप लोगों ने भी नहीं सुना होगा कि माॅ नर्मदा में कुंभ का आयोजन कभी हुआ है, तो अचानक यह कुंभ किस तिथि व लग्न का कुंभ है जो मध्यप्रदेश सरकार आयोजन करवा रही है। सरकार यदि कृषकों के साथ होती तो कृषकोें को अब तक फसल का मुआवजा मिल चुका होता।

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