मंडला सामाजिक कुम्भ एक राजनैतिक कुम्भ .भाजपा आदिवासिओ की संस्कृति को नस्ट कर रही हे .
अमान सिंह पोर्ते गोंडवाना महासभा के संस्थापक सदस्य ने कहा की आदिवासी समरसता महाकुम्भ का आयोजन भाजपा एवं आर. एस. एस. संयुक्त रूप से जो आयोजन मंडला आदिवासी जिले में करने जा रहा हे वह सीधे सीधे आदिवासिओ की संस्कृति को नस्ट करने का संद्यंत्र हे ! महाकुम्भ से आदिवासिओ का क्या भला हो जायेगा .
इस महाकुम्भ में आदिवासी उप योजना का पैसा खर्च किया जा रहा हे . संविधान में क्या सरकार को किसी धर्म के लिए आयोजन करने का अधिकार हे . नहीं........?
फिर यह आयोजन से संविधान विशेषज्ञ क्यों चुपचाप बैठे हे .
पूरी सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया जा रहा हे .
लगभग २०० करोड़ का खर्च इस कुम्भ में किया जा रहा हे .
कल कही आदिवासी ,सिख , इसाई, जैन या अन्य धर्म के लोग भी अपने धरम के आयोजन के लिए पैसे मांगेगे तब सरकार
कहा से खर्च करेगी .
क्या सिर्फ हिन्दू के लिए .
कही ऐसा तो नहीं आदिवासिओ को हिन्दू धर्म की और आकर्षित कर हिन्दू धर्मांतरण किया जा रहा हे .
जबकि आदिवासी हिन्दू नहीं हे यह हम नहीं कह रहे हे . यह भारत का सर्वोच्च न्यालय कह रहा हे .
अमान सिंह पोर्ते गोंडवाना महासभा के संस्थापक सदस्य ने कहा की आदिवासी समरसता महाकुम्भ का आयोजन भाजपा एवं आर. एस. एस. संयुक्त रूप से जो आयोजन मंडला आदिवासी जिले में करने जा रहा हे वह सीधे सीधे आदिवासिओ की संस्कृति को नस्ट करने का संद्यंत्र हे ! महाकुम्भ से आदिवासिओ का क्या भला हो जायेगा .
इस महाकुम्भ में आदिवासी उप योजना का पैसा खर्च किया जा रहा हे . संविधान में क्या सरकार को किसी धर्म के लिए आयोजन करने का अधिकार हे . नहीं........?
फिर यह आयोजन से संविधान विशेषज्ञ क्यों चुपचाप बैठे हे .
पूरी सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया जा रहा हे .
लगभग २०० करोड़ का खर्च इस कुम्भ में किया जा रहा हे .
कल कही आदिवासी ,सिख , इसाई, जैन या अन्य धर्म के लोग भी अपने धरम के आयोजन के लिए पैसे मांगेगे तब सरकार
कहा से खर्च करेगी .
क्या सिर्फ हिन्दू के लिए .
कही ऐसा तो नहीं आदिवासिओ को हिन्दू धर्म की और आकर्षित कर हिन्दू धर्मांतरण किया जा रहा हे .
जबकि आदिवासी हिन्दू नहीं हे यह हम नहीं कह रहे हे . यह भारत का सर्वोच्च न्यालय कह रहा हे .
आदरणीय हरिसिंह जी,
ReplyDeleteनमस्कार|
आपके विचार जानकर मुझे प्रसन्नता हुई| आपको पूर्व में भी पढने की लालसा रही है, लेकिन आपके ब्लॉग पर जो पोस्ट डाली गयी हैं, उनमें से प्रस्तुत आलेख के अलावा अन्य कोई भी हिन्दी में नहीं दिख रही है| यहॉं तक कि आपका परिचय भी हिन्दी में नहीं दिख रहा है| इस विषय में तकनीकी जानकारी चाहिये तो मुझे आपका सहयोग करने में प्रसन्नता होगी| आप नि:संकोच बात कर सकते हैं|
फिर भी आपका आलेख पढने से यह तो ज्ञात हो ही गया कि आप केवल आदिवासी ही नहीं हैं, बल्कि एक सच्चे और अपनी कौम के प्रति वफादार एवं समर्पित आदिवासी हैं| आपको अपनी अस्मत का दर्द है| आपमें अभी संवेदनाएँ जिन्दा हैं| ऐसे लोगों की आदिवासी समाज को बेहद जरूरत है|
अन्यथा तो आदिवासियों का मुखौटा पहने और आदिवासी होने का फायदा उठाकर आदिवासियों को ठुकराने वाले और हेय दृष्टि से देखने वाले तथाकथित बड़े-बड़े आदिवासी अफसरों, राजनेताओं और समाज सेवकों की कमी नहीं है|
जहॉं तक आरएसएस का सवाल है, दलितों के साथ-साथ आरएसएस ने भी आदिवासी समाज का बेड़ा गर्क कर रखा है| हमें दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी, एक तो अजा के दुराग्रही नेतृत्व से और दूसरी हिन्दूवादी दुराग्रही लोगों से जो सेवा का नाटक करके हमारे समाज को नष्ट-भ्रष्ट कर रहे हैं|
आशा है आप कुशल होंगे और सम्पर्क में रहेंगे|
शुभकामनाओं सहित|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
मो. 098285-02666