लिंगो के 18 वाद्ययंत्रो में शामिल. ....दुर्लभ वाद्ययंत्र "टोयली" बजाते हुए.....चंदेली मारी बस्तर छतीसगढ़
लिंगो पेन के 18 वाद्ययंत्रो में से एक "चेहरेगं" के अदभुत संगीत तरंगो के द्वारा मृत्यु संस्कार में "कुण्डा"
के माध्यम से "आत्मा" को "पेन"(देव) बनाया जाता है..........टोण्डा. .मण्डा. ..कुण्डा. ... संस्कार कि यह व्यवस्था स्वर्ग/नरक के घनचक्कर से आदिवासीयो को बचाये रखी है.
के माध्यम से "आत्मा" को "पेन"(देव) बनाया जाता है..........टोण्डा. .मण्डा. ..कुण्डा. ... संस्कार कि यह व्यवस्था स्वर्ग/नरक के घनचक्कर से आदिवासीयो को बचाये रखी है.
कोया पुनेम के पवित्रतम "को" से "कोटोड़का" नामक यन्त्र के संगीत तरंगो द्वारा जंगली पशुओं को नियंत्रित कर विश्व में पशुपालन का प्रथम विकास.....लया लयोर को नृत्य के दौरान केन्द्रित करने वाला उपकरण...महान वैज्ञानिक व संगीतज्ञ पहादीं पारी कुपार लिगों पेन के 18 वाद्ययंत्रो में शामिल.....
पूनांग पंडुम(नवा खाई त्योहार) ना सेवा जोहार! ......गोण्डवाना के गोडूम डिपा(मरहान भूमि ) में उत्पन्न प्रथम अन्न ...को अपने पूर्वजों को अर्पित कर ....कृर्षि विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महान बैल के सम्मान में....टीबी जैसे संक्रामक बीमारियों से सामुहिक रोकथाम हेतु कोरिया के पत्तों में भोग ग्रहण करने......मलेरिया जागरूकता महाअभियान "लूले डयाना " कर गोण्डवाना को सुरक्षित रखने...महान मौसम विज्ञानी पेन भिमा लिगों के सम्मान में दूनिया के सबसे बड़े हाई हील जूते पवित्र गोड़ोन्दि का विसर्जन करने....अण्डे के द्वारा ब्रह्मांड के रहस्यों से पवित्र "गोटूल" छात्रों को शिक्षा देने ....गोण्डीयन जन को स्वर्ग नरक कि कोरी कल्पना से परे "पेन अमरत्व" का अहसास करने........और नीचे मेरे चित्र के पवित्रतम गोण्डवाना के पवित्र गोन्डान्ड़ी(हुल्कि मादंरी) के प्रयोग से हम सब को कोया पुनेम के संगीतमय तरंगों से एकजुट रखने के लिए.
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